Papmochani Ekadashi 2025: जानें सही तिथि, शुभ मुहूर्त और व्रत का महत्व!
- Siddharth Kumar
- 25 मार्च
- 3 मिनट पठन
अपडेट करने की तारीख: 12 अप्रैल

पापमोचनी एकादशी 2025: 25 या 26 मार्च? जानें सही तिथि, शुभ मुहूर्त और व्रत का महत्व
पापमोचनी एकादशी हिंदू धर्म में एक विशेष स्थान रखती है। यह एकादशी भगवान विष्णु को समर्पित होती है और इस दिन व्रत रखने से सभी प्रकार के पापों से मुक्ति मिलती है। चैत्र माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि को मनाए जाने वाले इस पर्व पर इस वर्ष दुर्लभ शिववास योग का संयोग बन रहा है, जिससे इसका महत्व और अधिक बढ़ जाता है।
भक्तों के बीच इस वर्ष की पापमोचनी एकादशी 2025 की सही तिथि को लेकर कुछ भ्रम की स्थिति बनी हुई है। कुछ पंचांगों के अनुसार यह 25 मार्च को है, जबकि वैष्णव परंपरा के अनुसार इसे 26 मार्च को मनाया जाएगा। ऐसे में यह जानना जरूरी है कि इस व्रत को करने का सही समय क्या है और इसे किस विधि से किया जाए।
पापमोचनी एकादशी 2025: सही तिथि और शुभ मुहूर्त : Papmochani Ekadashi 2025 Kab Hai
इस बार पापमोचनी एकादशी पर शिव और सिद्ध योग का संयोग भी बन रहा है, जिससे इस दिन भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा करने से धन, सुख और सौभाग्य में वृद्धि होगी।
तिथि प्रारंभ: 25 मार्च 2025, दोपहर 12:45 बजे तिथि समाप्त: 26 मार्च 2025, दोपहर 01:30 बजे पारण का समय (व्रत तोड़ने का समय): 27 मार्च 2025, प्रातः 06:15 बजे से 08:45 बजे तक
पापमोचनी एकादशी का महत्व : Papmochani Ekadashi Benefits
पापमोचनी एकादशी का अर्थ है – पापों को मोचन (मुक्ति) देने वाली एकादशी। शास्त्रों के अनुसार, जो भी व्यक्ति इस दिन भगवान विष्णु का व्रत रखता है और उनका ध्यान करता है, वह सभी पापों से मुक्त हो जाता है और मोक्ष की प्राप्ति करता है।
धार्मिक मान्यता के अनुसार: Papmochani Ekadashi Benefits
इस दिन व्रत करने से जीवन में चल रही सभी परेशानियां समाप्त होती हैं।
भगवान विष्णु की कृपा से धन, वैभव और सुख-शांति की प्राप्ति होती है।
इस दिन दान-पुण्य करने से कई गुना अधिक फल प्राप्त होता है।
यह एकादशी विशेष रूप से नकारात्मक ऊर्जा और बुरी आदतों से छुटकारा पाने के लिए लाभकारी मानी जाती है।
पापमोचनी एकादशी की पूजा विधि (Papmochani Ekadashi 2025 Puja Vidhi)
अगर आप इस दिन व्रत और पूजा करना चाहते हैं तो इन विधियों का पालन करें:
स्नान और संकल्प: सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और व्रत का संकल्प लें।
भगवान विष्णु की पूजा:
घर के मंदिर में भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की मूर्ति स्थापित करें।
पीले वस्त्र पहनकर भगवान को तुलसी, फल, पंचामृत और पुष्प अर्पित करें।
श्री विष्णु सहस्त्रनाम या "ॐ नमो भगवते वासुदेवाय" मंत्र का जाप करें।
एकादशी कथा का पाठ: पापमोचनी एकादशी की पौराणिक कथा का पाठ करें या सुनें।
दान-पुण्य और भजन-कीर्तन:
इस दिन गरीबों और ब्राह्मणों को अन्न, वस्त्र और धन का दान करें।
पूरे दिन विष्णु भजन और कीर्तन करें।
व्रत का पारण (समापन):
एकादशी के अगले दिन सूर्योदय के बाद व्रत का पारण करें।
सात्विक भोजन ग्रहण करें और अपने दिन की शुरुआत भगवान विष्णु के नाम से करें।
पापमोचनी एकादशी की पौराणिक कथा : Papmochani Ekadashi 2025 Kab Hai
पौराणिक ग्रंथों के अनुसार, एक बार ऋषि मेधावी ने घोर तपस्या की, लेकिन अप्सरा मंजुघोषा ने उनकी तपस्या भंग कर दी। जब ऋषि को अपनी गलती का एहसास हुआ तो उन्होंने भगवान विष्णु की पापमोचनी एकादशी का व्रत रखा, जिससे उन्हें अपने पापों से मुक्ति मिली।
इसलिए, इस एकादशी को करने से मनुष्य अपने सभी पापों से मुक्त होकर मोक्ष प्राप्त कर सकता है।
पापमोचनी एकादशी 2025 का व्रत करने से न केवल पापों का नाश होता है, बल्कि जीवन में सकारात्मक ऊर्जा और समृद्धि का संचार भी होता है। इस दिन भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा करने से सुख-समृद्धि बढ़ती है और सभी आर्थिक संकट दूर होते हैं।
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