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राम मंदिर की काहानी ...

Writer's picture: EditorialEditorial



अयोध्या


राम मंदिर के इतिहास में 5 अगस्त 2020 का दिन सुनहरे अक्षरों में दर्ज हो गया। 1528 से लेकर 2020 तक यानी 492 साल के इतिहास में कई मोड़ आए कुछ मील पत्थर के भी पार किए गए। खास तौर से 9 नवंबर 2019 का दिन जब पांच जजों की संवैधानिक बेंच ने ऐतिहासिक फैसले को सुनाया अयोध्या जमीन विवाद मामला देश के सबसे लंबे चलने वाले केस में से एक था।


हम आपको बताते हैं कि इस विवाद की नीव कब पड़ी..


साल 1528 मैं मुगल बादशाह के सिपहसालार मीर बाकी ने राम मंदिर को तुड़वाकर मस्जिद का निर्माण कराया था इसे लेकर हिंदुओं ने इसका विरोध किया लेकिन उनकी कहीं भी सुनी नहीं गई,

साल 1853 में इस जगह के आसपास पहली बार दंगे हुए 1859 में अंग्रेजी प्रशासन ने विवादित जगह के आसपास बाढ़ लगा दी मुसलमान को ढांचे के अंदर और हिंदुओं को बाहर चबूतरे पर पूजा करने की इजाजत दी गई ॥

साल 1949 में असली विवाह शुरू हुआ 23 दिसंबर 1949 को जब भगवान राम की मूर्तियां मस्जिद में पाई गई हिंदुओं का कहना था कि भगवान राम प्रकट हुए हैं जबकि मुसलमानो ने आरोप लगाया कि किसी ने रात में चुपचाप मूर्तियां वहां रख दी यूपी सरकार ने मूर्तियों को हटाने का आदेश दिया लेकिन जिला मजिस्ट्रेट (डीएम)केके नायर ने दंगों और हिंदुओं की भावनाओं को भड़कने के डर से इस आदेश को पूरा करने में असमर्थता जताई सरकार ने इसे विवादित ढांचा मानकर ताला लगवा दिया, तब उत्तर प्रदेश में कांग्रेस की सरकार थी और मुख्यमंत्री गोविंद बल्लभ पंत थे ।।


साल 1950 में फैजाबाद सिविल कोर्ट ने दो अर्जी दाखिल की गई जिसमें एक में रामलला की पूजा की इजाजत और दूसरे में विवादित ढांचे से राम की मूर्ति रखे रहने की इजाजत मांगी गई, 1959 में निर्मोही अखाड़ा ने तीसरी अर्जी दाखिल की।।


साल 1961 में सुन्नी वफ्फ बोर्ड ने अर्जी दाखिल कर विवादित जगह से पजेशन और मूर्तियां हटाने की मांग की।।

साल 1984 में विवादित ढांचे की जगह मंदिर बनाने के लिए विश्व हिंदू परिषद ने कमेटी गठित की थी।


उसके बाद साल 1986 में यूसी पांडे की याचिका पर फैजाबाद के जिला अध्यक्ष केएम पांडे ने 1 फरवरी 1986 को हिंदुओं को पूजा करने की इजाजत देते हुए मंदिर पर से ताला हटाने का आदेश दिया।।


हद तो तब हो गई जब उत्तर प्रदेश में तत्कालीन मुख्यमंत्रीमुलायम सिंह यादव हिंदू साधु संतों ने अयोध्या कूच कर रहे थे उन दिनों श्रद्धालुओं की भारी भीड़ अयोध्या पहुंचने लगी थी प्रशासन ने अयोध्या में कर्फ्यू लगा रखा था इसके चलते श्रद्धालुओं को प्रवेश नहीं दिया जा रहा था पुलिस ने बाबरी मस्जिद के डेढ़ किलोमीटर के दायरे में बैरिकेडिंग कर रखी थी कार्य सेवकों की भीड़ बेकाबू हो गई पहली बार 30 अक्टूबर 1990 को कारक सेवकों पर गोलियां चलाई गई जिसमें सैकड़ो कार्य सेवकों की जान गई।।



इसमें उमा भारती ,अशोक सिंघम, स्वामी वाम देवी, जैसे बड़े हिंदूवादी नेता हनुमानगढ़ी में कार्य सेवकों का नेतृत्व कर रहे थे यह तीनों नेता अलग-अलग दिशाओं से करीब पांच 5000 कार्य सेवकों के साथ हनुमानगढ़ की ओर बढ़ रहे थे प्रशासन उन्हें रोकने की कोशिश कर रहा था लेकिन 30 अक्टूबर को मारे गए कार्य सेवकों के चलते लोग गुस्से से भरे थे आसपास के घरों की छतों तक पर बंदूकधारी पुलिसकर्मी तैनात थे और किसी को भी बाबरी मस्जिद तक जाने की इजाजत नहीं थी।।


इसके बाद 2 नवंबर को सुबह का वक्त था अयोध्या के हनुमानगढ़ी के सामने लाल कोठी के सकरी गली में कर सेवक बढ़ चले जा रहे थे पुलिस ने सामने से आ रहे इस कार्य सेवकों पर फायरिंग कर दी जिसमें करीब सैकड़ों की संख्या में कार्य सेवक मारे गए यह सरकारी आंकड़ा है इस दौरान कोलकाता से आए कोठारी बंधुओ की भी हत्या हुई थी॥


कार्य सेवकों ने मारे गए कार्य सेवकों के शवों के साथ प्रदर्शन भी किया आखिरकार 4 नवंबर को कार्य सेवकों का अंतिम संस्कार किया गया ॥


और 6 दिसंबर 1992 को वीअचपी और शिवसेना समेत दूसरे हिंदू संगठनों के लाखों कार्यकर्ताओं ने विवादित ढांचे को गिरा दिया देशभर में सांप्रदायिक दंगे भड़क गए जिसमें 2000 से ज्यादा लोग मारे गए।।


साल 2002 में हिंदू कार्यकर्ताओं को लेकर जा रही ट्रेन में गोधरा में आग लगा दी गई जिसमें 58 लोगों की मौत हुई इसकी वजह से गुजरात में हुए दंगे में 2000 से ज्यादा लोग मारे गए।।++


साल 2010 इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अपने फैसले में विवादित स्थल को सुनाई वक्फ बोर्ड रामलला विराजमान और निर्मोही अखाड़ा के बीच तीन बराबर बराबर हिस्सों में बांटने का आदेश दिया।


साल 2011 में सुप्रीम कोर्ट ने अयोध्या विवाद पर इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले को रोक लगाई।।

तत्पश्चात साल 2017 में सुप्रीम कोर्ट ने आउट ऑफ कोर्ट सेटलमेंट का आह्वान किया बीजेपी के सीट्स नेताओं पर आपराधिक साजिश के आरोप फिर से बहाल किए गए।।


8 मार्च 2019 को सुप्रीम कोर्ट ने मामले को मध्यस्थता के लिए भेजा। पैनल को 8 सप्ताह के अंदर कार्यवाही खत्म करने को कहा।।

अब हम राम मंदिर फैसले के बिल्कुल करीब थे।।


1 अगस्त 2019 को मध्यस्थता पैनल रिपोर्ट प्रस्तुत की।।

2 अगस्त 2019 को सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि मध्यस्थता पैनल मामले का समाधान निकालने में विफल रहा।।

तत्पश्चात 6 अगस्त 2019 को सुप्रीम कोर्ट में अयोध्या मामले की रोजाना सुनवाई शुरू हुई।।


फिर 16 अक्टूबर 2019 को अयोध्या मामले की सुनवाई पूरी। सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रखा।।

इतने लंबे समय से चल रहे इस विवाद को सुप्रीम कोर्ट ने 9 नवंबर 2019 को पांच जजों की बेंच ने राम मंदिर के पक्ष में फैसला सुनाया 2.77 एकड़ विवादित जमीन हिंदू पक्ष को मिली मस्जिद के लिए अलग से 5 एकड़ जमीन मुहैया कराने का आदेश दिया।।

25 मार्च 2020 रामलला टेंट से निकलकर फाइबर के मंदिर में विराजमान हुए।।


5 अगस्त 2020 को राम मंदिर का भूमि पूजन कार्यक्रम हुआ जिसमें प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र दामोदरदास मोदी आरएसएस सरसंघचालक मोहन भागवत उत्तर प्रदेश के वर्तमान मुख्यमंत्री माननीय श्री योगी आदित्यनाथ जी और साधु संतों समेत 175 लोगों को न्योता दिया गया ॥ अयोध्या पहुंचकर हनुमानगढ़ में सबसे पहले प्रधानमंत्री जी ने दर्शन किए फिर राम मंदिर के भूमि पूजन के कार्यक्रम में शामिल हुए।।


अब वह शुभ घड़ी भी आने वाली है जिसका हमें बहुत बेसब्री से इंतजार था 22 जनवरी 2024 को प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी के नेतृत्व में श्री राम मंदिर का उद्घाटन होने जा रहा है आप सभी को बहुत बहुत बधाई हैं।।

ओर उन पराक्रमी वीर योद्धाओ को भी नमन जिनकी वजह से आज ये सौभाग्य हमे मिल रहा है ॥


( यह पोस्ट सोशल मीडिया ,ओर न्यूज पोस्ट से लिया गया है )


Report By... SIDDHARTH TIWARI


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