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विश्वभर में रामायण का प्रभाव: संस्कृतियों और कला-रूपों को पार करते हुए,
"रामायण" एक ऐतिहासिक और धार्मिक ग्रंथ होने के साथ-साथ एक महाकाव्य भी है, जिसमें भगवान राम की अद्भुत कहानी और उनके चरित्र का विवेक दर्शाया गया है। यह कहना भी गलत नहीं होगा कि "रामायण" ने केवल भारतीय साहित्य में ही नहीं, बल्कि विश्वभर में भी अपना पर्याप्त प्रभाव छोड़ा है।
विभिन्न संस्कृतियों में प्रभाव:
"रामायण" की कहानी, उपन्यासों, गाथाओं, किस्सों, और कला रूपों के माध्यम से विभिन्न संस्कृतियों में व्यापक प्रभाव छोड़ी है। उदाहरण स्वरूप, इसका प्रभाव दक्षिण-पूर्व एशियाई देशों, जैसे कि थाईलैंड, कम्बोडिया, इंडोनेशिया, और फिलीपींस में भी दिखता है, जहाँ रामायण की कथाएँ और पात्रों का महत्वपूर्ण स्थान है।
साहित्य में प्रभाव:
विश्वभर में कई साहित्यिक कृतियाँ हैं जिनमें "रामायण" की कथाएँ और मूल्यों का उल्लेख किया गया है। यह ग्रंथ न केवल भारतीय साहित्य के हिस्से है, बल्कि विश्व साहित्य में भी एक महत्वपूर्ण स्थान रखता है।
कला-रूपों में प्रभाव:
रामायण के किस्से और पात्रों के चित्रण ने कला क्षेत्र में भी अपना परिप्रेक्ष्य दिखाया है। विश्वभर में चित्रकला, स्कल्प्चर, और आधुनिक रंगमंच में भी रामायण की कहानी का चित्रण किया गया है।
धार्मिक एवं दार्शनिक प्रभाव:
"रामायण" की कथाएँ और मूल्यों का प्रभाव विभिन्न धार्मिक और दार्शनिक परिधियों में भी प्रकट होता है। उनकी दिशा-निर्देशन में जीवन के मूल्यों की प्रकृति और महत्व स्पष्ट होते हैं।
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